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दुनिया भर में ऐसा देखा गया है कि मशरुम का इस्तेमाल खाने और दवाइयों में किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि मशरुम एक बहुत ही हेल्थी और नुट्रिशयस फ़ूड आइटम है। मशरूम में फैट का लेवल बहुत कम होता है और इसका सेवन करने से हार्ट भी हेल्थी रहता है। कुछ टाइम पहले तक मशरुम का सेवन कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था लेकिन ग्लोबोलाइजेशन और बढ़ते कंजूमेरिज़्म के कारण आज मशरुम का सेवन सभी एरिया और रीज़न में किया जाता है। देखते ही देखते मशरुम ने बहुत ही तेज़ी से कुकिंग बुक्स और किचन में अपनी जगह बना ली है जिस वजह से मशरुम की खेती यानि की मशरुम फार्मिंग बिज़नेस करने के अवसर बढ़ गए हैं। तो आज हम आपको बताएँगे मशरुम की खेती क्या होती है से लेकर कितना मुनाफा कमा सकते हैं इत्यादि के बारे में।

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे –

मशरूम की खेती क्या होती है

मशरूम कितने प्रकार के होते है

मशरूम फ़ार्मिंग बिजनेस कैसे करें

मशरूम फ़ार्मिंग ट्रेनिंग सेंटर

मशरूम का बीज कहाँ मिलता है

मशरूम की खेती में लागत

मशरूम को कहाँ बेचें

मशरूम की खेती से मुनाफा

मशरूम की खेती के लिए सबसिडी और लॉन

मशरूम फ़ार्मिंग बिजनेस से जुड़े कुछ टिप्स

मशरूम फ़ार्मिंग बिजनेस से जुड़े कुछ सवाल


मशरूम की खेती क्या होती है

बहुत से लोगों को लगता है कि मशरुम एक पौधा है क्योंकि इससे भी बाकि पौधों की तरह खाद और भूसे के माध्यम से उगाया जाता है लेकिन अगर देखा जाये तो मशरुम कोई प्लांट या वेजिटेबल नहीं है। मशरुम को फंगस की केटेगरी में डाला जाता है. आमतौर पर मशरुम का इस्तेमाल सब्जियों के तौर पर किया जाता है और एक हेल्थी फ़ूड आइटम होने का कारण इनकी मार्केट में डिमांड भी बहुत ज़्यादा है। इसलिए जब किसी किसान/ इंटरप्रेन्योर द्वारा मशरुम की डिमांड को पूरा किया जाता है तो इस बिज़नेस को मशरुम की खेती यानि मशरुम फार्मिंग बिज़नेस कहा जाता है।

मशरूम कितने प्रकार के होते है

अगर आप मशरुम की खेती करना चाहते हैं तोह आप ३ टाइप्स के मशरुम की खेती कर सकते हैं जैसे की-

  • बटन मशरूम
  • ओस्टर मशरूम (ढींगड़ी मशरूम)
  • मिलकी मशरूम

बटन मशरुम – बटन मशरुम को कम टेम्परेचर वाले एरिया में उगाया जाता है लेकिन ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी के आने पर इन्हें किसी भी एरिया में उगाया जा सकता है। सरकार द्वारा बटन मशरुम की खेती को प्रमोट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। बटन मशरुम को उगने के लिए 14-18°C का टेम्परेचर, प्रॉपर मॉइस्चर और फ्रेश एयर होना ज़रूरी है इसलिए इसकी खेती ज़्यादातर हिमालयन रेंज और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में की जाती है।

ओस्टर मशरुम- ओस्टर मशरुम को ढींगरी मशरुम भी कहा जाता है। इस मशरुम की खेती बहुत आसान और सस्ती होती है ओस्टर मशरुम में बाकि मशरूम की तुलना में बहुत से मेडिकल प्रॉपर्टी होती हैं। मेट्रोपोलिटन सिटी जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कलकत्ता में इनकी डिमांड बहुत हाई है। इसलिए इसका उत्पादन पिछले 3 सालो में 10 गुना बढ़ चूका है। तमिलनाडु और उड़ीसा में इनकी बिक्री लगभग हर गावों में होती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात में ओस्टर मशरुम की खेती बहुत लोकप्रिय हो चुकी है।

मिल्की मशरुम- मिल्की मशरुम का साइंटिफिक नाम कालॉयबे इंडिका है। मिल्की मशरुम का आकार बटन मशरुम से मिलता जुलता है। बटन मशरुम के मुक़ाबले में मिल्की मशरुम का तना बहुत ही मांसल, लम्बा और काफी मोटा होता है और उसकी कैप बहुत ही छोटी और जल्दी खुलने वाली होती है। मिल्की मशरुम की खेती के लिए हाई टेम्परेचर की ज़रूरत होती है। फंगस को स्प्रेड होने के लिए 25-35° सेल्सियस टेम्परेचर और 80-90% मॉइस्चर कंटेंट की ज़रूरत पड़ती है।

मशरूम फ़ार्मिंग बिजनेस कैसे करें

1) बटन मशरूम की खेती की विधि

  • खेती के लिए सही समय
    बटन मशरुम को उगने का सही समय अक्टूबर से मार्च तक के बीच का होता है। बटन मशरुम की हार्वेस्टिंग के लिए शुरुवात में 220-260 टेम्परेचर होना चाहिए। इस टेम्परेचर पर फंगल ट्रैप बहुत तेज़ी से स्प्रेड होता है। बाद में आप इसका ताप 140-180 के बीच भी रख सकते हैं। इससे कम टेम्परेचर पर बटन मशरुम बहुत कम रेट पर ग्रो करेंगे।
  • कम्पोस्ट बनाने की विधि
    बटन मशरुम की खेती एक स्पेशल टाइप की खाद पर की जाती है जिसे कम्पोस्ट कहते हैं। कम्पोस्ट बनाने के लिए किसी मशीन या इक्विपमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ती। कम्पोस्ट बनाने के लिए कुछ मैटेरियल्स की ज़रूरत पड़ती है जैसे-
  1. गेहूं और चावल का भूसा
  2. अमोनियम सल्फेट
  3. कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट
  4. सुपर फॉस्फेट
  5. यूरिया
  6. वीट ब्रेन
  7. जिप्सम

कम्पोस्ट को शेड में तैयार किया जाता है। कम्पोस्ट को तैयार होने में 28 दिन का समय लगता है। सबसे पहले भूसे को साफ़ और फ्लोर पर 2 दिन तक उस पर पानी डालकर गीला किया जाता है। इस फेज में भूसे का मॉइस्चर कंटेंट 75% तक होना चाहिए और वह बहुत ज़्यादा थिक नहीं होना चाहिए। 2 दिन तक पानी डालने के बाद भूसे को ब्रेक करके ये चेक करना चाहिए कि कहीं वह अंदर से सूखा तो नहीं है। अगर भूसा सूखा है तो उस पर फिर से पानी डालना चाहिए।

इस गीले भूसे में जिप्सम के अलावा बाकि सभी इंग्रेडिएंट्स मिलाकर उसे थोड़ा और गीला करें। इस बात का ध्यान रखें कि पानी भूसे से बाहर न निकलें। इसके बाद भूसे से 1 मीटर चौड़ा 3 मीटर लम्बा और 1.5 मीटर ऊँचा स्क्वायर शेप का पाइल या ढेर बना लें। उस ढेर को 2-3 दिन तक ऐसे ही पड़े रहने दें। 3 दिन बाद ढेर की पलटी शुरू करें और इस बात का ध्यान रखें कि उसके अंदर का पार्ट बाहर आ जाये और बाहर का पार्ट अंदर आ जाएँ।

पलटाई करने की डिटेल हमने नीचे बता रखी हैं-

दिन

प्रक्रिया

0-2 दिन

भूसे को गीला करना और जिप्सम के अलावा सभी इंग्रेडिएंट्स मिलाकर उसका ढेर बनाना।

3rd दिन

पहली पलटाई करते समय ढेर को इस तरह ब्रेक करें कि उसका ऊपरी पार्ट नीचे आ जाए और नीचे वाला पार्ट ऊपर आ जाये. इस पर लिंडन स्प्रिंकले करें ताकि मखियाँ उस पर न बैठे और आस पास फोर्मलिन 6% सलूशन को स्प्रे करें.

6th दिन

ढेर की दूसरी बार पलटाई करें.

9th दिन

तीसरी पलटाई करते समय जिप्सम को उसमें मिक्स करें और फिर से एक ढेर बनाएँ।

12th दिन

चौथी पलटाई करते समय फोर्मलिन 6% सलूशन को स्प्रिंकल करें.

15th दिन

पाँचवीं पलटाई

18th दिन

छठी पलटाई करते समय आसपास फोर्मलिन 4% सलूशन को स्प्रिंकल करें.

21st दिन

सेवंथ पलटाई करते टाइम कम्पोस्ट को स्मेल करें और चेक करें की कहीं अमोनिया की स्मेल न आ रही हो. अगर अमोनिया की स्मेल आ रही हो तोह पलटाई ठीक तरीके से करें.

24th दिन

आठवीं पलटाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि अमोनिया की स्मेल बिलकुल भी नहीं आ रही हो. अगर ऐसा हो तो एक बार फिर से पलटाई करें नहीं तो क्रॉप यील्ड बहुत कम होती है.

नोट- कम्पोस्ट में मॉइस्चर कंटेंट चेक करने के लिए उसे मुट्ठी में लेकर प्रेस करें। अगर आपको अपनी फिंगर्स के बीच में थोड़ा पानी नज़र आए तो इसका मतलब यह हुआ कि मॉइस्चर कंटेंट एप्रोप्रियेट है लेकिन अगर ऐसा करने पर ज़्यादा पानी रिलीज़ होता है तो कम्पोस्ट को स्प्रेड कर दें ताकि एक्सेस मॉइस्चर उड़ जाए।

  • बीजाई
    मशरुम के बीज फ्रेश, फुल्ली ग्रोन और फंगस फ्री होने चाहिए। मशरुम बीज की क्वांटिटी 1 क्विंटल कम्पोस्ट में 0.75-1 केजी होनी चाहिए। बीज को अच्छी तरह कम्पोस्ट में मिक्स कर के उन्हें या तो 12 इंच के पॉलिथीन बैग में या 6-8 इंच की पॉलिथीन शीट पर शेल्फ में भर दें। पॉलिथीन बैग को ऊपर से फोल्ड कर के बंदकर देना चाहिए जबकि पॉलिथीन शीट्स को न्यूज़पेपर से ढक देना चाहिए। पॉलिथीन बैग 8 किलो का कम्पोस्ट भरने के अनुसार होने चाहिए इससे उत्पादन 10 किलो कम्पोस्ट के बराबर होता है। इस समय रूम का टेम्परेचर 250 और मॉइस्चर कंटेंट 70% रखना चाहिए। 15 दिनों में बीजाई पूरी हो जाती है और इसके बाद केसिंग की ज़रूरत पड़ती है।
  • केसिंग
    मिट्टी की केसिंग के लिए उपयुक्त मिश्रण बनाना पड़ता है। मिश्रण बनाने के लिए आपको कुछ विशिष्ट अनुपात में इंग्रीडिएंटसलेने पड़ता है जैसे –
  1. गार्डन फर्टिलाइजर (FYM) लोम मिट्टी (1:1)
  2. FYM 2 साल पुराना बटन मशरूम फर्टिलाइजर (1:1)
  3. FYM लोम मिट्टी दो साल पुराना बटन मशरूम माइन्यूर

ऊपर बताये गए कोई भी एक मिक्सचर का चयन करें पर मिक्सचर (बी) सबसे ज़्यादा सूटेबल और हाई यील्डिंग है। इससे 8 घंटे तक पानी में शोएक करके रखना ज़रूरी है। 8 घंटे बाद केसिंग सॉइल को पानी से निकालकर और सूखा कर उससे फोर्मलिन 6% सलूशन से स्टेरिलाइज करना चाहिए और उससे 48 घंटे तक बंद रखना चाहिए। इसके बाद इसे खोलकर 24 घंटे तक स्प्रेड करके रखना चाहिए ताकि मिक्सचर सूख जाये। स्पान रन कम्पोस्ट पर 1 इंच की थिक लेयर इस केसिंग सॉइल की लगनी चाहिए और वाटर स्प्रिंक्लिंग इस तरह से होनी चाहिए की सिर्फ केसिंग ही गीली हो।

रूम का टेम्परेचर 200 से कम मॉइस्चर कंटेंट 70-80% और रूम में फ्रेश एयर आने के लिए जगह होनी चाहिए। केसिंग के 10-12 दिनों बाद इसमें छोटे-छोटे मुशरूम की जर्मिनेशन शुरू हो जाती है। इस समय से केसिंग पर 0.3% कैल्शियम क्लोराइड दिन में 2 बार पानी के साथ स्प्रिंकले करना चाहिए जिससे अगले 5-7 दिनों में मशरुम ग्रो कर पाएं। इसके बाद इन्हें रोटेट करके ब्रेक करना चाहिए और स्प्लिट करने के बाद इनके स्टेम पोरशन को नाइफ से कट करना चाहिए। एक बार केसिंग अप्लाई करने के बाद अगले 80 दिन तक मशरुम की हार्वेस्टिंग होती रहती है।

2. ओस्टर और मिल्की मशरूम की खेती की विधि
इस विधि में मशरुम के उत्पादन के लिए कुछ केमिकल्स की मदद से गेहू के भूसे में से बैक्टीरिया एलपी खत्म किया जाता है ताकि उस भूसे में आसानी से मशरुम ग्रो कर पाएं।

  • भूसे की शुद्धिकरण
    भूसे को प्योरिफ़ाई करने के लिए हैवी मैकेनिक सीमेंट से एक वाटर चैम्बर बनाया जाता है और उसके लोअर पार्ट में एक होल या टैप लगाया जाता है ताकि एक्सेस वाटर बाहर निकल पाएँ जिसमें 1500 लीटर पानी में 1.5 लीटर फोर्मलिन और 150 ग्राम कार्बन डाइजीयम मिक्स किये जाते हैं। उसके बाद इन्हे पैरो से अच्छी तरह मिक्स किया जाता है और पानी का कलर वाइट हो जाता है। इसके बाद इस पानी में लगभग 1.5 क्विंटल गेहू का भूसा डाल दिया जाता है। इसके बाद भूसे को पानी के साथ पैरों से क्रश किया जाता है ताकि वह पानी में अच्छी तरह मिक्स हो जाये। जब भूसा पानी के साथ अच्छी तरह मिक्स हो जाये तो इससे प्लास्टिक तारपोलिन से कवर किया जाता है। यह प्रोसेस इसलिए किया जाता है ताकि भूसा एयर के संपर्क में न आये। हवा के संपर्क में आने से केमिकल्स असर नहीं कर पाते है और भूसे में प्रेजेंट इंसेक्ट्स मशरुम की खेती में दिक्कत पैदा करते हैं।
  • भूसे को सूखाना
    गर्मियों में मशरुम फार्मिंग करने के लिए अगला स्टेप है भूसे को ड्राई करना यानि सुखाना जिसके लिए भूसे को चैम्बर से निकाल लिया जाता है और किसी क्लीन जगह पर ड्राई होने के लिए स्प्रेड कर दिया जाता है और उससे हर 2 घंटों में पलटा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि भूसे में केमिकल्स का कोई भी पार्ट न रहे। भूसे में प्रेजेंट मॉइस्चर को 50% तक कम करने के लिए और उसे ठंडा करने के लिए यह प्रैक्टिस अपनायी जाती है और इस प्रैक्टिस का टाइम पीरियड 20-24 घंटे तक के बीच का होता है।
  1. स्पावन की बीजाई करना
    गर्मियों में ओस्टर और मिल्की मशरुम की खेती के लिए अगला स्टेप बीजाई यानि की मशरुम स्पान (बीज) को भूसे में मिलाने क होता है। बीजाई को करने का सबसे अच्छा वक़्त सुबह का होता है।
  2. मिल्की मशरूम की बीजाई करना
    मिल्की मशरुम की बीजाई के लिए सबसे पहले प्लास्टिक के बैग लेने चाहिए और उन्हें नीचे दोनों कॉर्नर्स से कट किया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर भूसे में पानी रह जाये तो वह बाहर निकल जाये।
  3. इसके बाद मशरुम बीज को छोटी पॉलिथीन में लेकर लाइट हैंड्स से प्रेस किया जाता है और उस छोटी पॉलिथीन पर हलकी हलकी चोट देनी चाहिए ताकि दाने सेपरेट हो जाए। बीजाई के टाइम इस बात का ध्यान रहे कि अगर मशरुम स्पान के दाने आपस में चिपके हुए हैं तो उन्हें हाथों में रब करके अलग अलग कर लेना चाहिए ताकि बीज अच्छी तरह भूसे में मिल जाये।

    अगला स्टेप है प्लास्टिक बैग को हाथ में लेना और प्लास्टिक बैग का साइज 16x 18 इंच होना चाहिए। प्लास्टिक बैग में भूसा इस तरह से भरना होता है कि 3 लेयर्स में ये ऊपर तक भर जाएं क्योंकि मशरुम स्पान की बीजाई 3 लेयर्स में करनी होती है। बैग में भूसा डालने के बाद लगभग आधी मुठी मशरुम स्पान डाल दिए जाते हैं और ऐसा कुल 3 बार करना होता है। इस प्रोसीजर को 3 बार रिपीट करने के बाद प्लास्टिक बैग को प्रेस कर रबर बंद के थ्रू बाँध दिया जाता है। उसके बाद पैन की हेल्प से छोटे पॉलिथीन में लगभग 10 छेद करें जाते हैं ताकि वह फ्रेश हवा के संपर्क में आ सकें।

b) ओस्टर मशरूम की बीजाई
ओस्टर मशरुम की बीजाई के लिए सबसे पहले भूसे को एक साफ जगह पर स्प्रेड कर दिया जाता है और उसी में मशरुम बीज को स्प्रिंकले किया जाता है. इसके बाद भूसे को अच्छी तरह हाथों से पलटा जाता है ताकि मशरुम स्पान इसमें अच्छे से मिक्स हो जाए। जब भूसे के साथ बीज अच्छी तरह मिक्स हो जाये तो भूसे प्लास्टिक बैग में राउंड शेप में भरना होता है. राउंड शेप में भरने के लिए भूसे को पॉलिथीन की 4 तरफ स्प्रेड और प्रेस करके भरना होता है.

इसके बाद प्लास्टिक बैग को रबर बंद के थ्रू बांध दिया जाता है और पॉलिथीन में लगभग 10 छेद कर दिए जाते हैं ताकि मशरुम अगर पॉलिथीन से बाहर आये तो एक दूसरे से न टकराये. उसके बाद इन्हें एक बंद रूम में रख दिया जाता है।

  • ओस्टर मशरूम की खेती के लिए रूम का वातावरण कैसा होना चाहिए?
    मशरुम की खेती के लिए एक ऐसे रूम की जरूरत होती है जिसमें एक दरवाजा और विंडो हो और अगर दरवाजा और विंडो आमने सामने हो तो बहुत अच्छा होता है. रूम में प्लास्टिक बैग रखने के लिए हम या तो रैक मेथड यानि रूम में बम्बू का एक रैक बनवा सकते हैं या फिर रोप का यूज करके भी हैंगिंग मेथड का यूज करके भी मशरुम के बैग रखने की जगह बनायीं जा सकती है। जब प्लास्टिक बैग को रूम में शिफ्ट किया जाता है, तो 15 दिन तक उस रूम की लाइट्स, दरवाजे और खिदकियों को बंद रखा जाता है। जिस रूम में ओस्टर मशरुम की खेती की जा रही होती है उस रूम में 15 दिनों तक हवा आने का कोई सोर्स नहीं होना चाहिए ताकि फंगस पोलिथीन के चारों तरफ स्प्रेड हो जाये।
  • मिल्की मशरुम की खेती के लिए रूम का वातावरण कैसा होना चाहिए?

मिल्की मशरुम की खेती के लिए बीजाई किये गए बैग को रूम में रखा जाता है। इसमें भी दरवाजे और खिड़कियाँ बंद रखने होते है लेकिन इन 20 दिनों के टाइम पीरियड में बैग और रूम का टेम्परेचर रेगुलर बेसिस पर ऑब्सेर्व करना ज़रूरी है बैग का टेम्परेचर चेक करते टाइम इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि थर्मामीटर का सेंसर वाला पार्ट बैग में साइड से इन्सर्ट किया जाए और बैग का टेम्परेचर उसी कंडीशन में चेक होना चाहिए न कि थर्मामीटर को बाहर निकाल कर। मिल्की मशरुम की खेती करते टाइम शुरू के 20 दिन में बैग का टेम्परेचर 25-30 डिग्री होना चाहिए और रूम का टेम्परेचर और ह्यूमीडीटी हाइड्रो मीटर की हेल्प से चेक किया जा सकता है.

ह्यूमीडीटी 70-90% और टेम्परेचर 25-20 डिग्री के बीच होना चाहिए. 20 दिन पूरे होने के बाद प्लास्टिक थैली में फंगस स्प्रेड हो चूका होता है और थैली वाइट हो जाती हैं. इसके बाद मिल्की मशरुम बैग को रोप से नीचे उतारा जाता है और उसे ऊपर पोरशन से फाड़ा जाता है. इसके बाद इसमें कम्पोस्ट डाली जाती है जो कि कोकोनट पाडडर और 15 साल पुराने गोबर से बनी होती है.

  • कम्पोस्ट बनाने के विधि
    मिल्की मशरुम की केसिंग के लिए साइल को कोकोनट के बुरादे कोकोनट पीट और 1.5 साल पुराने गोबर से बनाया जाता है. सबसे पहले कोको पीट को पानी में शोएक किया जाता है और जब वह अपनी शेप से 4 टाइम्स बड़ा हो जाता है तो उससे पानी से निकाल दिया जाता है. गोबर और कोको पीट का मिक्सचर तैयार करते टाइम 80% क्वांटिटी गोबर की होती है और 20% क्वांटिटी कोको पीट की होती है. इस मिक्सचर को अच्छे से मिक्स करके पानी में 5% फोर्मलिन मिक्स करके इससे मिक्सचर पर स्प्रिंकल किया जाता है क्योंकि हो सकता है कि गोबर या कोकोनट पीट में इंसेक्ट्स मॉथ्स इत्यादि प्रेजेंट हो जो मशरुम को डैमेज करते हैं।

    फर्टिलाइजर स्प्रे करने के बाद सॉइल को ऊपर नीचे पलटा जाता है और 3 दिन तक उसे कवर करके छोड़ दिया जाता है ताकि इसमें कोई भी बैक्टीरिया न बचे। मिल्की मशरुम की खेती करने के लिए 20 दिन पुरानी मिट्टी उन प्लास्टिक बैग में भरी जाती है जिसमें फंगस ग्रो करा था लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि साइल भरते टाइम पॉलिथीन को प्रेस न करें और लाइट हैंड्स से मिट्टी को नाग के चारों तरफ स्प्रेड करना चाहिए।

    बैग में सॉइल केसिंग का प्रोसेस पूरा होने के बाद बैग्स का ऊपरी भाग खोलकर उनमें उसी दिन से वाटर स्प्रे मशीन के थ्रू 10-12 दिन तक थोड़ा थोड़ा पानी दिया जाता है. पानी देते टाइम सिर्फ स्प्रे मशीन का ही यूज होना चाहिए क्योंकि पानी सिर्फ सॉइल तक ही पहुंचना चाहिए और भूसे तक नहीं जाना चाहिए. इस 10-12 के टाइम पीरियड के दौरान मिल्की मशरुम निकलना शुरू हो जाते हैं और इनकी हाइट 10-12 इंच तक हो सकती है.

मशरूम फ़ार्मिंग ट्रेनिंग सेंटर

मशरुम फार्मिंग बिज़नेस करने के लिए किसानो को ट्रेनिंग भी लेनी पड़ती है. इंडिया में सरकार ने किसानो के लिए कई प्रशिक्षण केंद्र (ट्रेनिंग सेंटर्स) खोल रखें हैं जहाँ पर फार्मर्स को प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाती है और मशरुम फार्मिंग की टेक्निक्स सिखाई जाती हैं. तो आइये जानते हैं इन ट्रेनिंग सेंटर्स के बारे में –

  1. बागवानी प्रौद्योगिकी संस्थान
    ग्रेटर नॉएडा एनसीआर में लोकेटेड बागवानी प्रौद्योगिकी संस्थान (इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी) 2009 में अखिल भारतीय ग्रामीण विकास संस्था के अंडर स्थापित हुए कुछ यूनिक इंस्टीटूट्स में से एक है. यहाँ पर शहर और गाँव में रहने वाले किसानों, महिलाओं और युवाओं को हाई-टेक हॉर्टिकल्चर से जुड़े नॉलेज और स्किल्स प्रोवाइड किये जाते हैं।

यहाँ पर मशरूम फ़ार्मिंग बिजनेस से जुड़े कुछ कोर्स मे ट्रेनिंग प्रोवाइड की जाती है जैसे –

मशरूम प्रॉडक्शन – इस कोर्स की अवधि 2 सप्ताह है।
होम स्केल मशरूम प्रॉडक्शन – इस कोर्स की आधी 1 सप्ताह है
कमर्शियल प्रॉडक्शन – इस कोर्स की अवधि 2 सप्ताह है।

इन कोर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

आईसीएआर – इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चरल रिसर्च

इस इंस्टिट्यूट ने लखनऊ, नागपुर, रांची, गोधरा, चेततळी और गोनिकोप्पल में अपने एक्सपेरिमेंटल स्टेशन की स्थापना कर के अपनी रिसर्च एक्टिविटीज को एक्सपैंड किया है। आईआईएचआर बैंगलोर ने फ्रूट्स वेजीटेबल्स ऑर्नामेंट्स, मेडिसिन्स और मशरुम में अपनी रिसर्च करी है.

यहाँ पर मशरुम फार्मिंग बिज़नेस से जुड़े कुछ कोर्स में ट्रेनिंग प्रोवाइड की जाती है जैसे-

Spawn (Mushroom seed) Production
Mushroom Cultivation

इन कोर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

3. ICAR- डायरेक्टरेट ऑफ़ मशरुम रिसर्च

यहाँ पर मशरुम फार्मिंग बिज़नेस से जुड़े कुछ कोर्स में ट्रेनिंग प्रोवाइड की जाती है जैसे-

Cultivation Technology of White Button Mushroom
Cultivation Technology of Oyster Mushroom
Cultivation Technology of Paddy Straw Mushroom

इन कोर्सेज के अलावा भी इस ट्रेनिंग में मशरुम फार्मिंग से जुड़े बहुत से चीज़ें डिटेल में पढ़ाई जाती हैं जैसे-
Mushroom ki medicinal value
Mushroom Spawn ki preparation Techniques
Mushroom ke liye substrate preparation technique
Mushroom farming ke liye Infrastructure kaise set up karein
Mushroom ki crop raising aur crop management
Mushroom farming mein pest management
Mushrooms ki post harvest handling

इन कोर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

मशरूम का बीज कहाँ मिलता है

मशरुम की खेती शुरू करने से पहले एक सवाल जो हम सभी के मन में आता है वो है मशरुम के बीज यानि की स्पान कहाँ मिलता है। मशरुम के बीज आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खरीद सकते हैं.

अगर आप ऑनलाइन मशरुम के बीज खरीदना चाहते हैं तो आप इंडिया मार्ट से खरीद सकते हैं. ये एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहाँ पर आपको कम दामों पर मशरुम के बीज मिल सकते हैं.

अगर आप ऑफलाइन मशरुम के बीज खरीदना चाहते हैं तो आप अपने शहर के सरकार द्वारा बनाये गए कृषि केन्द्रों (गवर्नमेंट एप्रूव्ड एग्रीकल्चरल सेंटर्स) की हेल्प से खरीद सकते हैं. 

मशरूम के बीज की कीमत
इसके लिए सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि आप किस टाइप के मशरुम की खेती करना चाहते हैं.

अगर आप ऑनलाइन मशरुम के बीज खरीदना चाहते हैं जैसे कि इंडिया मार्ट से तो इनका प्राइस rs 75 रुपए किलो है जो कि ब्रांड और सीड्स के टाइप के अकॉर्डिंग चेंज होती रहती है.

अगर आप कृषि केन्द्रों से बीज खरीदते हैं तो आपको बीज Rs 80-100 किलो के रेट पर मिल सकते हैं.

मशरूम की खेती में लागत

मशरुम की खेती एक ऐसा बिज़नेस है जो कम लागत में भी शुरू किया जा सकता है. मशरुम की खेती आप 2 तरीकों से कर सकते हैं. अगर आप छोटे स्तर पर इस बिज़नेस को शुरू करना चाहते हैं तो आपके पास एक खेत होना चाहिए जिससे आप लकड़ी (वुड) की हेल्प से उस लैंड को एक बंद रूम की तरह कवर कर लें. दूसरा तरीका इस बिज़नेस को शुरू करने का यह है कि आप अपनी एक कंपनी या फैक्ट्री खोल कर इससे बड़े स्तर पर शुरू कर सकते हैं. मशरुम ऊगने का प्रोसेस यानि विधि एक ही जैसी होती है फिर चाहे आप इस बिज़नेस को छोटे या बड़े स्तर पर करें।

कम्पोस्ट मैटेरियल्स

मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट बनाना पड़ता है और कम्पोस्ट बनाने के लिए हमें बहुत से मैटेरियल्स की ज़रूरत पड़ती है. आपके मैटेरियल्स की क्वांटिटी निर्भर करती है कि आप किस लेवल पर मशरुम की खेती शुरू कर रहे हैं. हम आपको एक मध्यम लेवल बिज़नेस के अकॉर्डिंग बताएँगे. तो आइये जानते हैं कम्पोस्ट के अकॉर्डिंग इन मैटेरियल्स का प्राइस.

कम्पोस्ट मटेरियल

मात्रा

प्रति यूनिट कीमत (in Rs)

मात्रा

गेहूं और चावल का भूसा

6,000 kgs

8.00

48,000

यूरिया

140 kgs

10.00

1,400

गेहु का भूसा

300 kgs

15.00

4,500

जिप्सम

1,000 kgs

9.00

9,000

अमोनियम सल्फेट

200 kgs

6.50

1,300

कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट

200 kgs

25.00

5,000

सुपर फास्फेट

100 kgs

9.00

900

कुल

  

70,100

शेड मैटेरियल्स

मशरुम की खेती करने के लिए हमे एक शेड तैयार करना पड़ता है जिसके लिए हमें कुछ मैटेरियल्स की ज़रूरत पड़ती है. इन मैटेरियल्स का प्राइस इस बात पर निर्भर करता है कि आपका खेत कौनसी लोकेशन पर है और आप किस क्वालिटी का मैटेरियल उपयोग कर रहे हैं. हम आपको यहाँ एक रफ़ एस्टीमेट बताएँगे-

शेड मटेरियल

मात्रा

प्रति यूनिट कीमत (in Rs)

कीमत

पॉलिथीन बैग

35 kg

180.00

6,300.00

सूतली

10 kg

300.00

3,000

धान का भूसा

1 tonne

4,500

4,500

बम्बू (length 12’ width 3’’)

100 kg

120

12,000

बम्बू (length 10’ width 2.5’’)

220

110.00

23,200

बम्बू (length 10’ width 1’’)

280

100

2800

कुल

  

51,800

अन्य खर्चे

मटेरियल

मात्रा (kg में)

प्रति यूनिट कीमत (in Rs)

कुल

बीज

100

75

7,500

केसिंग तेल

2,000

2.5

5,000

अन्य खर्चे 

  

10,000

कुल

  

22,500

कम्पोस्ट मटेरियल, शेड मटेरियल और बाकि के खर्चे को मिलाकर आपकी कुल लागत 1,44,400 की लगेगी. ये अमाउंट हमने आपको एक मिड लेवल मशरुम की खेती के अकॉर्डिंग बताया है.

अगर आप छोटे स्तर पर मशरुम की खेती शुरू करते हैं तो आपकी लागत 10 से 50 हजार तक के बीच की लगेगी.

अगर आप बड़े स्तर पर मशरुम की खेती शुरू करते हैं तो आपकी लगत 1 लाख से 10 लाख तक के बीच की लगेगी.

मशरूम को कहाँ बेचें

अब हम यह तो जान चुके हैं कि मशरुम फार्मिंग बिज़नेस यानि मशरुम की खेती कैसे करें पर एक सवाल जो सभी लोगों के मन में होता है, वो यह है कि हम मशरुम को कहाँ बेचें।

मशरुम की डिमांड काफी जगहों पर बढ़ गयी है. आजकल इनका प्रयोग चाइनीज खानों में सबसे ज़्यादा किया जाता है जिस वजह से इनकी होटल और रेस्टोरेंट्स में काफी डिमांड है. इसलिए आप इन्हें आसानी से बेच सकते हैं.

मशरुम उत्पादन करने के बाद उससे सही मार्किट तक पहुँचाने पर ही आप मुनाफा कमा सकते हैं. वैसे तो मशरुम की काफी डिमांड है लेकिन इसके लिए आपको मंडी में एक बड़ी पहचान बनानी पड़ेगी ताकि फ्यूचर में आपका मशरुम आसानी से मार्किट तक पहुँच जाये.

जिन जगहों पर मशरुम की डिमांड ज़्यादा नहीं हैं, वहां आप कुछ लोगों को इकठ्ठा कर के मशरुम के फायदे बता सकते हैं. आप उन्हें ये भी बताये कि मशरुम का प्रयोग दवाइयाँ बनाने में भी होता है. इससे प्रभावित होकर कुछ लोग वहां मशरुम खरीद सकते हैं और इससे आपको यह भी पता चल जाएगा कि मशरुम को दवाई बनाने वाली कम्पनी को भी बेचा जा सकता है. इन सब के बावजूद भी अगर आपके मशरुम का स्टॉक नहीं बिक रहा तो आप मशरूम को सूखा कर और उनका पाउडर बना कर उन्हें ऑनलाइन बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं.

मशरूम की खेती से मुनाफा

मशरुम की खेती एक ऐसा बिज़नेस बन चूका है जिसमें हर साल १२.९% से बढ़ोतरी हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह बिज़नेस काम से काम लगत में भी शुरू किया जा सकता और इसमें मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है.

अगर हम इसका कॉस्ट एनालिसिस करें तो हमें यह पता लगता है कि पर शेड 3000 किलोग्राम मशरुम प्रोड्यूस किये जाते हैं जो कि मार्किट में आमतौर पर 100 रुपए किलो के प्राइस पर बेचे जाते हैं.

3000 x 100 = Rs 3,00,000
अगर हम कुल मुनाफे की बात करें तो वह हमारा Rs (3,00,000 – 1,44,400 = 1,55,600) तक का कमा सकते हैं.

आपका प्रॉफिट मार्जिन आपके स्केल ऑफ़ बिज़नेस पर भी निर्भर करता है. बड़े स्तर पर मशरुम की खेती शुरू करने पर आप 1,00,000- 5,00,000 तक के बीच का मुनाफा कमा सकते हैं.

मशरूम की खेती के लिए सबसिडी और लॉन

  • प्रशिक्षित मशरुम किसानों को नेशनल बैंक फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड एग्रीकल्चर (नाबार्ड/एनएचबी) द्वारा लोन एक्सटेंड किया जाता है लेकिन लोन लेने के लिए किसानों को एक रिपोर्ट नाबार्ड से अप्रूव करनी पड़ती है। लोन के अमाउंट के प्रोसेसिंग के लिए इन केस को नॅशनलाइज्ड बैंक को रेकमेंड किया जाता है.
  • नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड भी मशरुम फार्मर्स को क्रेडिट लिंक्ड बैक- एन्ड सब्सिडी की फॉर्म में असिस्टेंस प्रोवाइड करता है. सब्सिडी का अमाउंट टोटल कॉस्ट का 20% होता है (नार्मल एरियाज में मैक्सिमम अमाउंट 25 लाख तक का होता और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 लाख तक).
  • स्टेट गवर्नमेंट भी मशरुम फार्मर्स को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सीडी प्रोवाइड करती है. कम्पोस्ट के लिए सब्सिडी मैक्सिमम 400 ट्रेज के लिए दी जाती है और कम्पोस्ट की ट्रांसपोर्टेशन के लिए 100% सब्सिडी दी जाती है.
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भी किसानों को मशरुम शेड/ हाउस, टूल्स इत्यादि के लिए 80000 रुपए दिए जाते हैं.
  • डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड कोऑपरेशन भी नेशनल हॉर्टिकल्चर स्कीम के अंडर फार्मर्स को असिस्टेंस प्रोवाइड करती है. आइये इसके कुछ के फैक्ट्स जानते हैं-

    स्पान यूनिट्स, कम्पोस्ट प्रिपरेशन और ट्रेनिंग- पब्लिक सेक्टर को 100% असिस्टेंस दी जाती है और प्राइवेट सेक्टर्स को टोटल कॉस्ट का 50% सब्सिडी की फॉर्म में ग्रांट किया जाता है. (मैक्सिमम सब्सिडी अमाउंट- 50,00,000)

    स्पान प्रोडक्शन यूनिट्स- पब्लिक सेक्टर को टोटल कॉस्ट का 100% और प्राइवेट सेक्टर को टोटल कॉस्ट का 50% सब्सिडी की फॉर्म में दिया जाता है. (मैक्सिमम सब्सिडी 15,00,000)

    कम्पोस्ट प्रोडक्शन यूनिट्स- पब्लिक सेक्टर को टोटल कॉस्ट का 100% और प्राइवेट सेक्टर को टोटल कॉस्ट का 50% सब्सिडी की फॉर्म में दिया जाता है. (मैक्सिमम सब्सिडी 20,00,000)

अब आप यह तो जान चुके हैं कि आप अपने बिज़नेस के लिए लोन ले सकते हैं लेकिन अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आप अपने बिज़नेस के लिए लोन कैसे और कहाँ से लें तो उसके लिए आप हमारा ब्लॉग पढ़ सकते हैं जिसका लिंक हमने दे रखा है।

मशरूम की खेती बिजनेस से जुड़े कुछ टिप्स

  1. जिस रूम में मशरुम की खेती की जा रही है, उस रूम में एक खिड़की और दरवाजा होना ज़रूरी है।
  2. पॉलिथीन बैग का टेम्परेचर चेक करने के लिए रेगुलर से थोड़ा बड़ा थर्मामीटर यूज करें और उसका सेंसर बैग के अंदर होना ज़रूरी है. इसका टेम्परेचर चेक करते टाइम वह 25-30 डिग्री के बीच होना चाहिए.
  3. रूम का टेम्परेचर और मॉइस्चर चेक करने के लिए यूज किया गए इंस्ट्रूमेंट का नाम है हाइड्रोमीटर और उसका टेम्परेचर 25-30 डिग्री के बीच होना चाहिए.
  4. ओस्टर मशरुम की फार्मिंग के टाइम सॉइल केसिंग की ज़रूरत नहीं पड़ती पर मिल्की मशरुम और बटन मशरुम में सॉइल केसिंग की ज़रूरत पड़ती है.

मशरूम फ़ार्मिंग बिजनेस से जुड़े कुछ सवाल

मशरुम के बीज कहाँ से खरीदें?

मशरुम का बीज आप ऑनलाइन किसी वेबसाइट से या ऑफलाइन सरकार द्वारा अप्रूव किये गए कृषि केन्द्रों से खरीद सकते हैं. डिटेल में जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

मशरुम की खेती में कितना इन्वेस्टमेंट लगता है?

इस बिज़नेस में आपकी इन्वेस्टमेंट यानि की लागत इस बात पर निर्भर करता है कि आप मशरुम की खेती छोटे स्तर पर शुरू कर रहे हैं या बड़े। इन्वेस्टमेंट में आप कम्पोस्ट के मटेरियल शेड के मटेरियल का कॉस्ट और बाकि खर्चा भी जोड़ सकते हैं. डिटेल में जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

बटन मशरुम की खेती के लिए कितना टेम्परेचर चाहिए होता है?

बटन मशरुम को लौ टेम्परेचर वाले एरिया में उगाया जाता है लेकिन ग्रीनहाउस टेक्नोलॉजी के आने पर इन्हें किसी भी एरिया भी उगाया जा सकता है. बटन मशरुम को उगने के लिए 14-18°C का टेम्परेचर प्रॉपर मॉइस्चर और फ्रेश एयर होना ज़रूरी है इसलिए इसकी खेती ज़्यादातर हिमालयन रेंज और नार्थ इंडियन एरिया में की जाती है.

क्या सरकार मशरुम की खेती के लिए सब्सीडी या लोन देती हैं?

सरकार ने किसानों के लिए बहुत सी स्कीम बना रखी हैं जिसके तहत किसानों को सब्सीडी और लोन मिल सकते हैं. डिटेल में जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

मशरुम का मार्केट पोटेंशियल क्या है?

आज के दौर में मशरूम बहुत पॉपुलर हो चुके हैं और इनका मार्केट पोटेंशियल भी काफी बढ़ चूका है. बटन मशरुम का मार्केट में फ्रेश या फिर कैंड सूप और पिकल यानि अचार बना कर बेचा जा सकता है. ढींगरी मशरूम को भी ड्राई करके मार्केट में बेचा जाता है.

जन्म से ही क्रिकेट का दीवाना हूँ लेकिन क्रिकेटर बन नहीं सका और अब विकिपीडियन बनकर खिलाड़ियों पर लिखना शौक बना दिया है।

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