डिजिटल मार्केटिंग इंटरव्यू के एडवांस लेवल के सवाल और जवाब

Digital marketing interview mein kya pucha jata hai

आपने यह तो जान लिया है कि डिजिटल मार्केटिंग के बेसिक लेवल के इंटरव्यू में क्या और किस तरह के सवाल-जवाब लिए जाते है. इस तरह अब आपको काफी कुछ पता चला है कि किस तरह से सवाल किये जाते है. इसके बाद अब बारी है एडवांस लेवल की और इस आर्टिकल में आपको इसी टॉपिक के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. वहीं अगर आप पिछले आर्टिकल को देखना चाहते है तो यहाँ स्वागत है:- डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यू में पूछे जाने वाले बेसिक लेवल 

डिजिटल मार्केटिंग में एडवांस लेवल का महत्व

एडवांस लेवल की तैयारी में हम आपको बताएँगे कि ऐसे कौनसे सवाल हैं जो कि आपके डिजिटल मार्केटिंग के नॉलेज को और मजबूत करेंगे और आपके इंटरव्यू को पास करने के अवसर ज्यादा बढ़ जायेंगे.

तो आईये जाने कि इस आर्टिकल को पढ़ना क्यों जरुरी है और क्यों करें एडवांस लेवल के डिजिटल मार्केटिंग प्रश्नों की तैयारी 

  • यह आर्टिकल आपको इंटरव्यू के लिए पूरी तरह से तैयार करने में मदद करेगा.
  • इससे आप एनालिसिस पर आधारित सवालों के बारे में जानेंगे.
  • आप इससे एडवांस लेवल के प्रश्नों के बारे में जानेंगे जिससे आपकी नॉलेज अच्छी होगी.
  • इस आर्टिकल में तकनिकी संबंधित प्रश्नों पर ज्यादा फोकस किया गया है.

डिजिटल मार्केटिंग इंटरव्यू के सवाल – एडवांस लेवल

तो आइये जानते है डिजिटल मार्केटिंग के एडवांस लेवल में पूछे जाने वाले सवाल और उनके दिए जा सकने वाले जवाबों के बारे में  –

प्र.1) रिस्पोंसिव वेब डिजाइन क्या होता है ?

उत्तर) रिस्पोंसिव वेब डिज़ाइन एक नया माध्याम है वेबसाइट डिज़ाइन के लिए जो कि वेब पेज के परफोर्मेंस को बेहतर बनाता है ताकि उसे अच्छी वैरायटी मिले और साथ ही डेस्कटॉप मोबाइल और टेबलेट पर अच्छे यूजर एक्सपीरियंस के साथ दिखाया जा सके. इस प्रोसेस में हम कोशिश करते हैं कि मिक्स ऑफ़ फ्लेक्सिबल लेआउट्स, ग्रिड्स इमेज और सीएसस (स्केडिंग स्टाइल शीट्स) मीडिया क्वेरी की मदद से एक्सपीरियंस को बेहतर बनाया जा सके.

प्र.2) एएमपी के बारे में आप क्या जानते है ?

उत्तर) एएमपी (AMP) जिसका पूरा नाम (Accelerated Mobile Pages) होता है. यह एक गूगल की तरफ से ओपन सोर्स लाईब्रेरी है जो एक बेहतर तरीका देता है वेब पेज को जिससे वह आसानी से और कम समय में लोड हो जाए. इससे यूजर प्रभाव पड़ता है. AMP, पब्लिशर तथा मार्केटर के लिए मोबाइल में वेब पेज को फास्ट और कस्टमर के लिए अच्छा बनाने में काफी मददगार है.

प्र.3) वेबमास्टर टूल क्या होता है ?

A) वेबमास्टर टूल गूगल का एक फ्री टूल है इसके कुछ सामान्य फायदे जो ये है –

  • फ्री डाटा इंडेक्सिंग (Free data indexing) – डाटा इंडेक्सिंग से आप अपनी वेबसाईट और उससे जुड़ेडाटा को गूगल में इंडेक्स करवा सकते है, ताकि कोई जब आपके प्रोडक्ट से जुड़ी क्वेरी के बारे में सर्च करे तो परिणाम में आपकी वेबसाईट को दिखाएँ.
  • क्रॉल एरर (Crawl errors) – क्रॉल एरर से आप यह जान सकते है कि वो कौनसे URL है जो कि गूगल आइडेंटीफाई नहीं कर पा रहा है या जिसमें कुछ समस्या होती है.
  • सर्च क्वेरी (Search queries) – वेबमास्टर की मदद से आप यह भी जान सकते है कि लोग कौनसे कीवर्ड को ज्यादा सर्च करते है. फिर आप भी उन्हीं कीवर्ड पर फोकस कर सकते है. 
  • बाहरी कड़ियाँ (Back-links information) – बैकलिंक जो आपकी वेबसाईट के SEO के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. वेबमास्टर की मदद से आप नए लिंक के बारे में भी जान सकते है और उन्हें डाउनलोड भी कर सकते है.
  • वेबसाईट मालवेयर एरर (Website malware errors) – वेबमास्टर आपकी वेबसाइट की सिक्योरिटी का भी ध्यान रखता है. अगर कभी भी आपकी वेबसाइट पर किसी मैलवेयर का अटैक होता है तो वेबमास्टर आपको नोटिफिकेशन देता है ताकि आप उस अटैक से आप साइट को बचा सकें.
  • एक्सएमएल साईटमेप (XML sitemap) – वेबमास्टर की मदद से आप अपने वेबसाइट की साईटमैप को गूगल पर सबमिट कर सकते हैं. साईटमैप आपकी वेबसाइट का एक रोडमैप है जो गूगल को आपके वेबसाइट के महत्वपूर्ण पन्नों और टूल की जानकारी देता है.

प्र.4) स्पाइडर/क्रॉल क्या है ?

उत्तर) ज्यादातर सर्च इंजन आपके वेबसाइट को इंडेक्स करने के लिए स्पाइडर्स/क्रॉलर्स को उपयोग करते है. स्पाइडर तथा हाइपरलिंक को फ़ॉलो करते हैं और टेक्स्ट्युल और मेटा इन्फोर्मेशन को सर्च इंजन डेटाबेस के लिए कलेक्ट करते है.

प्र.5) क्रॉलर/स्पाइडर एक वेबसाईट से दूसरे वेबसाईट पर कैसे मूव करता है ?

उत्तर) क्रॉलर/स्पाइडर लिंक्स फ़ॉलो करते है जो कि उसे एक वेबसाईट से दूसरी वेबसाईट पर ले जाता है और इसी तरह वो आपकी उपयोगी जानकारी को ढूंढता है.

प्र.6) Robots.txt क्या है ?

उत्तर) Robots.txt एक टेक्स्ट फ़ाइल होता हैस जिससे सर्च इंजन क्रॉलर को निर्देश देने के लिए उपयोग किया जाता है. ये निर्देश इंडेक्सिंग और वेब कैचिंग, डोमेन, डाइरेक्टरी या वेबसाईट की किसी फ़ाइल के लिए दिया जाता है.

एनालिसिस पर आधारित प्रश्न

खैर अब हम जानते ई कुछ एनालिसिस पर आधारित प्रश्न और उनके उत्तर –

प्र.7) “Bad links” किसे कहा जाता है ?

उत्तर) नीचे दिए गए सभी टाइप के लिंक को बैड लिंक कहा जाता है,

      • किसी ब्लॉग से लिया गया स्पैम वाला लिंक.
      • किसी नॉन-इंडेक्स वेबसाईट से आया हुआ लिंक.
      • वो लिंक जिन्हें खरीदा गया हो.
      • वो लिंक जो कि लो पेज रैंक वाली वेबसाईट से आये हो या जिनके ट्रैफिक लो हो.
      • उन वेबसाईट से आये हुए लिंक जो कि आपकी वेबसाईट के लिए उपयुक्त नहीं हो.
      • लिंक एक्सेंज से आये हुए लिंक
      • वो कोई भी लिंक जिसे मैन्युअली ऑनलाइन लिंक डाइरेक्टरी से लिया गया हो.

प्र.8) क्या आप बेस्ट वेज़ बता सकते हैं जिससे वेबसाइट के लिए नेचुरल बैकलिंक ली जा सके ?

उत्तर) अगर आपकी वेबसाइट नई-नई है उस केस में फ़ास्ट और नेचुरल लिंक्स आने के मौके लगभग बहुत ही कम होते हैं. बहुत नेचुरल बैकलिंक लेने का एक कॉमन तरीका है जहाँ गेस्ट पोस्ट लिखी जाए. आप इसमें अपनी वेबसाईट से जुड़ी केटेगरी पर लिख कर कुछ बैकलिंक जरूर ला सकते है.

प्र.9 किसी पेज का पेज रैंक कैसे बढ़ाया जा सकता है ?

उत्तर) किसी भी पेज का पेज रैंक बैकलिंक्स बिल्डिंग से अच्छा किया जा सकता है. इसके अलावा SEO भी बहुत महत्वपूर्ण है आपके पेज की रैंकिंग के लिए.

प्र.10) महत्वपूर्ण क्या है: इंगेजमेंट रेट या फोलोअर्स तथा लेके ?

उत्तर) उच्च इंगेजमेंट रेट एक अच्छा संकेत है कि आपके फोलोअर्स आपके प्रोडक्ट में इंटरेस्ट रखते हैं. उच्च इंगेजमेंट मतलब यूजर आपके प्रोडक्ट को समझते हैं और आपके साथ ही जुड़े रहना चाहते हैं. जबकि फोलोअर्स/लाइक्स तभी काम आता है जब वो फोलोअर्स आपके साथ इंगेजमेंट बनाये रखें.

प्र.11) सोशल मीडिया टूल का इस्तेमाल कस्टमर सर्विस के लिए कैसे किया जा सकता है ?

उत्तर) सोशल मीडिया एक अच्छा माध्यम है फॉर कस्टमर सर्विस के लिए. सोशल मीडिया से आप अपने क्लाइंट के साथ डायरेक्ट कनेक्ट में रह सकते हैं. उनके रिस्पांस के लिए आप एनालिटिक्स का प्रयोग भी कर सकते हो. इसके अलावा आप इन्फ्लुएंसर्स से भी जुड़ सकते हैं.

प्र.12) आपके अनुसार PPC में कंवरसेशन रेट को ऑप्टिमाइज करने के लिए सबसे अच्छे एलिमेंट क्या है ?

उत्तर) यह कुछ एलिमेंट है जो कि पीपीसी में कंवरसेशन रेट की ऑप्टिमाइज में मदद करते है –

      • आपके विज्ञापन और लैंडिंग पेज के बीच रेलेवंस अच्छा होना चाहिए.
      • कम्पेलिंग कंटेंट बहुत ही महत्वपूर्ण है और आपकी वेबसाइट पर रिलेवेंट कीवर्ड्स का होना भी जरूरी है.
      • लैंडिंग पेज की डिज़ाइन को रिव्यु करें. एक अच्छा लैंडिंग पेज सही कलर कॉम्बिनेशन का, GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस) और लेआउट से मिलकर बनता है.
      • आपके वेब पेज रजिस्ट्रेशन प्रोसेस साधारण और सरल होना चाहिए. और इसके अलावा एक न्यूज़लेटर साइन अप का सेक्शन जरूर लगायें.

प्र.13) Bidding क्या होती है ? Bid किसपर निर्भर करता है ?

उत्तर) Bid (बिड) जिसका मतलब होता है कि आपने अपने कीवर्ड के लिए कितना रुपया सेट किया. बिड दो तरह की होती है – ऑटोमेटिंग और मैन्युअल.

ऑटोमेटिक बिडिंग – ऑटोमेटिक सर्विस का आप उपयोग कर रहे हैं तो अपना एड चलाओ, वो आपके कीवर्ड/कैंपेन पर आने वाले क्लिक के लिए ऑटोमेटिकली बिड पर निर्भर करता है और ये आपके क्वालिटी स्कोर पर भी निर्भर करता है. ऑटोमेटिक बिडिंग आपके एड के लिए अधिकतम क्लिक प्रोवाइड करता है. हालाँकि यह सब आपके पैसों पर निर्भर करता है.

मैन्युअल बिडिंग – मैन्युअल बिडिंग में आप खुद तय करते हैं कि बिडिंग अमाउंट कितना रखना चाहते हैं. आपकी बिडिंग अमाउंट ही तय करती है कि आपके एड की रीच और इम्प्रैशन कितनी होगी.

आपके एड इन कुछ चीजों पर निर्भर करती है –

      • क्वालिटी स्कोर – क्वालिटी स्कोर गूगल की एक स्ट्रेटजी है जो कि आपके कीवर्ड्स या पीपीसी एड की क्वालिटी और रिलेवंस की रेटिंग करता है. आपकी पीपीसी एड की क्वालिटी स्कोर का निर्णय करती है कि आपका सीपीसी (कॉस्ट पर क्लिक) कितनी होगी. कहा जाए तो क्वालिटी स्कोर और पीपीसी विपरीत आनुपातिक है, इसका मतलब है –

आपको बता दें कि जितना ज्यादा क्वालिटी स्कोर होगा उतना ही सीपीसी कम होगा.

      • सीटीआर – जिसका पूरा नाम क्लिक थ्रू रेट होता है, यह एक रेटियो है जिससे पता चलता है किन यूजर ने आपकी एड देखी और किसने क्लिक किया.

सीटीआर पता करने का तरीका क्या हैClicks/Impressions = CTR

      • रेलेवंस कीवर्ड – इसका मतलब है आपका कीवर्ड आपके कंटेंट से कितनी एक्यूरेसी रखता है. साथ ही आपके सिलेक्टेड कीवर्ड को कंटेंट में कितनी बार यूज किया गया है.
      • लैंडिंग पेज क्वालिटी – लैंडिंग पेज वो पेज होता है जहाँ आपके यूजर लैंड करते हैं. आपके लैंडिंग पेज का लेआउट नेविगेशन कंटेंट और यूजर के एक्सपीरियंस के अनुसार अच्छा होना चाहिए और ये उस लैंडिंग पेज की क्वालिटी डिसाइड करता है.

प्र.14) किसी वेबसाईट के लोडिंग टाइम को कैसे कम किया जा सकता है ?

उत्तर) वेबसाईट का लोडिंग समय इन कुछ चीजों पर निर्भर करता है.

      • पेज पर कितनी वीडियो और इमेज है.
      • इमेज ऑप्टिमाइज है या नहीं, मतलब जितनी भी फोटो है उसकी साइज क्या है और अच्छी है या बहुत बड़ी, इत्यादि.
      • HTTPs (Hypertext Transfer Protocol) की एकाधिक अनुरोधों को रिड्यूस किया जाना चाहिए.
      • Cache (data/files stored in your RAM) आपकी वेबसाईट की स्पीड रिड्यूस कर देता है. कैचे क्लियर करके रखना आपकी वेबसाईट स्पीड के लिए जरूरी है.

प्र.15) इन कोड का क्या मतलब है – 200/301/307/404/403/503?

उत्तर) इन कोड को HTTPs कोड कहा जाता है. यह कोड ब्राउजर द्वारा रिक्वेस्ट के स्टेट्स के बारे में बताता है.

200 (OK) – इस कोड का मतलब है कि रिक्वेस्ट का स्टेटस बिलकुल सही है और यह अच्छे से काम भी कर रहा है.

301 (Moved Permanently) – इसका मतलब है कि की गयी रिक्वेस्ट को उसकी सही लोकेशन से हमेशा के लिए दूसरी जगह मूव कर दिया गया है.

307 (Temporary Redirect) – इसका मतलब यह होता है कि किसी रिक्वेस्ट किये गए डॉक्यूमेंट को अस्थायी रूप से दूसरी जगह (रीडाइरेक्ट) कर दिया गया है.

404 (Not Found) – इसका मतलब यह है कि जब हम कोई लिंक पर क्लिक करते है और वो नहीं मिलता है गूगल यह बताता है कि आपने जो पूछा था वो नहीं मिला.

403 (Forbidden) – इसका मतलब है, कि ब्राउजर से की गयी रिक्वेस्ट से आपको एक्सेस नहीं मिल पाया.

503 (Service Unavailable) – इसका मतलब यह है कि सर्वर आपकी रिक्वेस्ट को समझ नहीं पा रहा है क्यूंकि या तो सर्वर बिजी है या सर्वर ओवरलोड की प्रॉब्लम हो गयी है. तो ये थे कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न जो की डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यूज में पूछे जाते है. हमने अच्छी रिसर्च और डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट्स की सलाह से ये प्रश्न और उनके उत्तर दिए क्योंकि डिजिटल मार्केटिंग एक बहुत ही प्रोग्रेसिव फील्ड है

इसके अलावा अगर आप जानना चाहते हैं कि किसी भी इंटरव्यू की तैयारी कैसे की जाये तो यहाँ क्लिक करें और अपने आप को किसी भी इंटरव्यू में पास होने के लिए तैयार करें. अगर आपके डिजिटल मार्केटिंग से जुड़ा कोई सवाल है तो हमें यहाँ या फिर नीचे फेसबुक के बटन पर जाकर जरूर पूछ सकते है.

https://www.facebook.com/JoshKaKosh/

जन्म से ही क्रिकेट का दीवाना हूँ लेकिन क्रिकेटर बन नहीं सका और अब विकिपीडियन बनकर खिलाड़ियों पर लिखना शौक बना दिया है।

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