मुल्लापेरियार बांध मुद्दा । कारण । निर्माण । मुख्य विशेषताएं
March 13, 2024

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परिचय
केरल Kerala राज्य में स्थित मुल्लापेरियार बाँध ( Mullaperiyar Dam ) एक डैम है। ये डैम पेरियार नदी पर मौजूद है, जो इदुक्की जिले के नेय्यर डैम के समीप स्थित है। 1887 से 1895 के बीच में मुल्लापेरियार बाँध का निर्माण हुआ था। इस डैम के कई सारे मुख्य उद्देश्य हैं, जिसमें जल संचयन, ऊर्जा उत्पादन और सिरोवर क्षेत्र के लिए जल आपूर्ति करना है। मुल्लापेरियार बाँध हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का प्रमुख हिस्सा है।
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मुल्लापेरियार बाँध ( Mullaperiyar Dam ) के मामले
मुल्लापेरियार बाँध के मुद्दे भारत के दो राज्यों के बीच है। इसमें केरल और तमिलनाडु शामिल है। इसमें एक बड़ा मुद्दा जल संसाधन का वितरण है। इसमें केरल का कहना है कि मुल्लापेरियार बांध के जल संसाधन की जिम्मेदारी केरल को उठानी चाहिए क्यूंकि यह केरल राज्य में स्थित है। वहीं तमिलनाडु की इच्छा थी कि उनके राज्य को बाँध के पानी का अधिकार मिलना चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण ये था कि बाँध के पानी का इस्तेमाल तमिलनाडु कर रहे थे।
इतना ही नहीं, केरल के मुताबिक, मुल्लापेरियार बांध के जलस्तर को कम करना चाहिए जिससे किसानों को आसानी से पानी मिल सके। वहीं तमिलनाडु का कहना था कि जल स्तर में बढ़ोतरी होना चाहिए इससे कृषि क्षेत्रों और नगरीय विकास के लिए पानी को उपलब्ध करवाया जा सकता है। इसके अलावा केरल का कहना था कि जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग करें। मगर तमिलनाडु का कहना कि कृषि क्षेत्र सहित उद्योग क्षेत्र के लोग भी पानी का इस्तेमाल करे। इन सभी चीजों को देखते हुए केरल और तमिलनाडु दोनों राज्यों ने सर्वोच्च न्यायलय में इस मामले को लेकर अपील पेश की है। इन दोनों राज्यों के द्वारा यह एक ऐसा कदम है जो इस मुद्दे को और भी जटिल बना रहा है। मुल्लापेरियार बाँध (Mullaperiyar Dam) को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स
मुल्लापेरियार बाँध दो राज्यों के बीच एक गंभीर मुद्दा है जिसको आसानी से समझने के लिए संक्षेप में हम आपके लिए कुछ पॉइंट्स लेकर आये हैं। इन पॉइंट्स पर नजर डालें।
- केरल सरकार का मुख्य आरोप डैम की सुरक्षा है।
- तमिलनाडु का दावा है पानी की भंडारण की क्षमता अधिक है जो उन्हें जल संकट से बचा सकती है।
- केरल का तमिलनाडु पर डैम को तोड़ने का आरोप है।
- केरल और तमिलनाडु इन दोनों राज्यों ने अदालत में याचिकाएं दायर की है जिसके सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने समितियां बनायीं है।
- कोर्ट से मिला बाँध की सुरक्षा के लिए निर्णय। इसमें कई सारे दिशानिर्देश शामिल हैं।
मुल्लापेरियार बांध ( Mullaperiyar Dam ) मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
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2006 और 2014 में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा फैसला लिया गया कि मुल्लापेरियार बांध के जल स्तर को 142 फीट तक बढ़ाया जायेगा। इस स्तर को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु ने 2021 तक जलस्तर 142 फ़ीट तक रखा है। इस फैसला से बाँध की चिंताओं की निगरानी की जाएगी, जिसके लिए स्थायी रूप से पर्यवेक्षी समिति की स्थापना की जा चुकी है।
सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पैनल के कार्यों को करने के लिए राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण National Dam Safety Authority (NDSA) को अधिकार दिया गया है। इसमें समान कार्य और शक्तियों के साथ अधिकार शामिल है। इसमें न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन एवं विफलता के किसी भी काम को करने के लिए व्यक्ति के ऊपर क़ानूनी कारवाई की जाएगी। वहीं कानून के तहत बने हुए नियमों का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति को जुर्माना और कारावास की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
मुल्लापेरियार बांध ( Mullaperiyar Dam ) की कुछ मुख्य जानकारियां
- मुल्लापेरियार बाँध का निर्माण 1887 से 1895 तक हुआ है।
- यह करीब 126 वर्ष पुराना बाँध है।
- यह बाँध केरल के इडुक्की ज़िले में स्थित है।
- मुल्लापेरियार बाँध मुल्लायार और पेरियार नदी के संगम पर है।
- इस बाँध की लम्बाई 365.85 मीटर है।
- इस बाँध की ऊंचाई 53.66 मीटर है।
- इस बाँध की क्षमता 2,402 गिगावॉट घंटा है।
- यह बाँध एक महत्वपूर्ण हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना है।
बाँध सुरक्षा अधिनियम (Dam Safety Act) से जुड़ी प्रमुख जानकारियां
बाँध सुरक्षा अधिनियम की शुरुआत 13 दिसंबर, 2021 को बाँध के रखरखाव और उनकी सुरक्षा के लिए की गयी थी। वहीं बाँध से जुड़े कई आकस्मिक मामलों के लिए बाँध सुरक्षा अधिनियम 2021 का गठन किया गया। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य देश के सभी प्रमुख बांधों के देखभाल का है।
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बाँध की सुरक्षा पर नजर डालते हुए देश में दो प्रमुख समितियों का निर्माण किया गया। इसमें बाँध सुरक्षा राष्ट्रीय समिति (NCDS) और राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण शामिल है।
बाँध सुरक्षा राष्ट्रीय समिति Dam Safety National Committee (NCDS): बाँध की सुरक्षा के विकास के लिए और जरूरी नियमों को लाने के लिए जितने भी कार्य को किये जाते हैं वह सभी काम बाँध सुरक्षा राष्ट्रीय समिति के भीतर है।
राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण National Dam Safety Authority (NDSA): बाँध की सुरक्षा के लिए कई सारी नीतियां बनायीं गयी है उन नीतियों को लागू करके उसपर काम करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण की है।
निष्कर्ष
मुल्लापेरियार बांध मुद्दे देश के दो राज्यों के बीच हुआ था। इस विवाद में तमिलनाडु और केरल राज्य शामिल है। इसमें दोनों राज्य अपने हितों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। इसमें तमिलनाडु की इच्छा यह है कि बांध के जल स्तर को बढ़ाकर उसके सुदृढ़ीकरण कार्य को बेहतर बनाया जा सके। फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्यक्ष निर्णय के बाद भी विवाद जारी है।
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परिचय
मुल्लापेरियार बाँध ( Mullaperiyar Dam ) के मामले
मुल्लापेरियार बांध ( Mullaperiyar Dam ) मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
मुल्लापेरियार बांध ( Mullaperiyar Dam ) की कुछ मुख्य जानकारियां
बाँध सुरक्षा अधिनियम (Dam Safety Act) से जुड़ी प्रमुख जानकारियां
निष्कर्ष
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