भारत में महिला सशक्तिकरण
March 13, 2024

7 Minutes

भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर नौ देवियों की पूजा की जाती है। यहाँ की संस्कृति और सभ्यता पुरे विश्व में ख्याति प्राप्त है। वहीं भारत कई ऐसे देशों की सूचि में शामिल है जहाँ की महिलाएं अपनी पहचान दुनियाभर में बना रही है, जो पुरे विश्व में सराहनीये है। वहीँ महिला सशक्तिकरण जैसे गंभीर विषय पर बात करने से पहले कुछ मुख्य तथ्यों को जानना और उसपर गंभीरता से विचार हम सभी का अधिकार है। उससे पहले एक सवाल सबके मन में निश्चित आया होगा कि अगर महिला सशक्त होती तो हम महिला सशक्तिकरण के विषय में बात करते? खैर आगे बढ़ते हैं और जानते हैं महिला सशक्तिकरण से जुड़ी तमाम जानकारियां।
राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण नीति (2001) National Policy for Women Empowerment (2001)
राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति की शुरुआत महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए किया गया है। इसमें महिलाओं को उनके सभी मौलिक अधिकार दिए गए हैं। इस नीति के अनुसार महिलाओं के साथ केवल सकारात्मक भेदभाव सुनिश्चित किया गया है। वहीं उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा। उन्हें वह सभी अधिकार मिलेंगे जो संविधान में महिलाओं के लिए तय किया गया है।
महिला सशक्तीकरण नीति का मुख्य रूप से उद्देश्य है कि महिलाओं का पूर्ण रूप से विकास हो। आज जिन क्षेत्रों में पुरुष आगे बढ़ रहे हैं उन सभी क्षेत्रों में महिलाएं भी परचम लेहराएँ और स्वयं को मजबूत बनायें। वहीं महिलाओं को अपने अधिकारों एवं क्षमताओं के विषय में पूर्ण रूप से जानकारी होनी चाहिए। इससे वह सभी खुद को किसी भी परिस्तिथि से बहार निकाल सकती हैं।
राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति (2001) के 5 मुख्य बिंदु हैं:
- सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण: इस नीति का लक्ष्य सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक परिवेश बनाना है ताकि महिलाएं अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग कर सकें।
- समानता और गैर-भेदभाव: यह नीति राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और नागरिक क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
- महिलाओं के समग्र विकास पर ध्यान: नीति में महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक भागीदारी, और निर्णय लेने में समावेश जैसे विभिन्न पहलुओं पर बल दिया गया है।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना: यह नीति महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करने हेतु उपायों पर भी जोर देती है।
- संस्थागत तंत्र को मजबूत करना: यह महिला सशक्तिकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत संस्थागत तंत्र बनाने और सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) तथा अन्य हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर देती है।
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भारत में महिलाओं की संख्या
नारी सशक्तिकरण जैसे गंभीर विषय पर बात करने के बाद भी हम महिलाओं की संख्या को भारत जैसे बड़े और समृद्ध देश में नहीं बढ़ा सकते हैं। 2011 के जनगणना के अनुसार 48.5% प्रतिशत आवादी महिलाओं की है। वहीँ 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएं हैं। आज के समय में भले ही महिलाओं के पक्ष में चीजों का विस्तार हो रहा है मगर कुछ ऐसी चीजें आज भी मौजूद है जिससे आज भी महिला सशक्तिकरण को लेकर देश में संघर्ष जारी है। आज यही कारण है जिससे भारत उन देशों की सूचि में शामिल नहीं है जहाँ पर पुरुषों से अधिक महिलाओं की संख्या है। मगर फिर से जंग जारी है जिसपर कवि पुष्यमित्र उपाध्याय जी कहते हैं:
"उठो द्रौपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविन्द ना आएंगे।
नहीं बदल रहा है पितृसत्तात्मक समाज
सदियों से भारत देश एवं अन्य देशों में पितृसत्ता चलते आ रहा है जिसे पितृ प्रधान भी कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रथा है जो आधुनिकता के साथ भी नहीं बदली। कई जगह ऐसे हैं जहाँ पर पितृसत्तात्मक पूर्ण रूप से जारी है। ऐसी स्थिति में वहां पर पुरुषों का वर्चस्व चलता आ रहा है। इसमें महिलाओं को अपने पिता, पति एवं भाई के अधीन रहना पड़ता है। इस स्थिति में महिलाएं अपनी इच्छा अनुसार किसी भी प्रकार के निर्णय नहीं ले सकती है।
हालाँकि समय के साथ-साथ और बढ़ते आधुनिकता के परिवेश में वह सभी महिलाएं जो शिक्षित होकर स्वयं एवं अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा रही है वह सभी पितृसत्तात्मक समाज की भागीदारी नहीं है। मगर इतना होने के बाद भी मातृसत्तात्मक समाज की चर्चा भी नहीं की जाती है, जिससे हम यह कह सकते हैं कि सभी के जीवन पर पितृसत्तात्मक समाज का सकारात्मक प्रभाव कम और नकारात्मकता प्रभाव अधिक पड़ रहा है।
सरकार के द्वारा लायी गयी योजनाएं
केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई सारी योजनाएं निकाली जाती है। इसमें महिलाओं को कई प्रकार की सुविधाएँ मिलती है। इसके अलावा उन्हें उच्च शिक्षा के लिए भी काफी बढ़ावा मिल रहा है। इसमें कई सारी अहम योजनाएं हैं, जिसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना एवं अन्य योजनाएं शामिल है। इसके साथ अलग-अलग राज्यों में भी कई सारी योजनाएं हैं जो बेटियों के हित के लिए चलाई जाती है।
जानें महिलाओं के अधिकार
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भारतीय संविधान महिलाओं के कई सारे अधिकारों को दर्शाता है जो सभी महिलाओं को मुख्य रूप से जानना चाहिए। सभी महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों के विषय में जानना उनका अधिकार है।
- एक समान वेतन पाने का अधिकार
- घरेलु हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने का अधिकार
- अभद्र भाषा में नहीं कर सकते महिलाओं से बात
- शिक्षित होने का अधिकार
- मतदान करने का अधिकार
- रात में नहीं कर सकते महिलाओं को गिरफ्तार
- महिलाएं कर सकती है वर्चुअल शिकायत दर्ज
- महिलाएं करा सकती है जीरो एफआईआर दर्ज
- महिलाओं को मिलेगा निःशुक्ल क़ानूनी मदद
- महिलाओं का नहीं कर सकता कोई पीछा
- अपनी पहचना गुप्त रखने का अधिकार
- दफ्तर में उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाने का अधिकार
- रात्रि के समय महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार
- पिता की संपत्ति पर बेटी का अधिकार
महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए कई संस्थाओं की है अहम भूमिका
भारत में कई सारे ऐसे सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान है जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काफी तेजी से बढ़ावा दे रही है। इन सभी संस्था की जिम्मेदारी होती है सभी महिलाओं के अधिकारों के विषय में उन्हें बताए। इसके अलावा कई सारी बच्चियां और महिलाएं देश में हो रहे कुरीतियों का शिकार हो जाती है। मगर इस कुरीति के बाद उन बच्चियों और महिलाओं को उन संस्थाओं के द्वारा बेहद सपोर्ट मिलता है। वहीं भारत के कुछ प्रमुख संस्था के द्वारा कई बड़े कदम भी उठाये जाते हैं जो हमेशा से महिलाओं के पक्ष में है।
- सैल्फ इम्प्लॉयड विमन्स असोसिएशन (Self Employed Women's Association): 1972 में इला भट्ट के द्वारा गुजरात में सैल्फ इम्प्लॉयड विमन्स असोसिएशन की स्थापना की गयी थी। आज के समय में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस संस्था का महत्वपूर्ण योगदान है। इस संस्था से अभी के समय में करीब 15 लाख महिलाएं जुडी हुई हैं।
- गुरिया इंडिया (Guria India): गुरिया इंडिया की स्थापना 1993 के दौरान काशी में हुआ। यह संस्था मानव तस्करी के खिलाफ आवाज़ उठाती है। वहीँ छोटी बच्चियों को इस कुरीति से बचाती है।
- सेवन सिस्टर्स डेवलपमेंट असिस्टेंस (Seven Sisters Development Assistance): सेवन सिस्टर्स डेवलपमेंट असिस्टेंस की स्थापना 2011 में हुई। यह आसाम की एक ऐसी संस्था है जो महिलाओं को सशक्त बनाती है और उनके अधिकारों के लिए जोरों शोरों से कार्य करती है।
- शिक्षण अने समाज कल्याण केंद्र (Education and Social Welfare Center): इस संस्था की स्थापना 1980 में गुजरात के एक शहर सोमनाथ में हुई थी। मानव कल्याण के लिए यह संस्था एक अहम भूमिका निभाती है।
- आजाद फाउंडेशन (Azad Foundation): आज़ाद फाउंडेशन की स्थापना 2008 में हुई थी। इस फाउंडेशन के माध्यम से बच्चियों के शिक्षा को काफी तेजी से आगे बढ़ाया जाता है। इसके अलावा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस फाउंडेशन का महत्वपूर्ण योगदान है।
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महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की कैसी है भूमिका
महिला सशक्तिकरण में सभी महिलाओं के लिए शिक्षित होना बेहद अहम है। अपने अधिकारों को समझने के लिए और पूर्ण रूप से स्वयं एवं अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। कहते है ना, एक महिला शिक्षित होती है तो अपने साथ अपने परिवार और समाज को भी शिक्षित करती है। अगर एक महिला शिक्षित होगी तो उनके परिवेश में अन्य महिलाओं के मन में भी शिक्षा प्राप्त करने की भावना जागेगी।
एक शिक्षित महिला अपने परिवार में बदलाव ला सकती है। अपनी संतान को बेहतरीन शिक्षा प्रदान कर सकती है। खुद के अधिकारों को समझ सकती है। इसलिए हरेक महिला का शिक्षित होना बेहद जरूरी है। वहीँ इसकी जरूरत हमारे देश में सबसे ज्यादा है। क्यूंकि सदियों से यहाँ पितृसत्ता की प्रधानता है। ऐसी स्थिति में जब महिला शिक्षित होगी तो वह अपने अधिकारों को समझेगी और उसका सही ढंग से पालन करेगी। इसलिए भारत सरकार भी महिलाओं की शिक्षा में अपना अहम योगदान देता है।
भविष्य में महिला सशक्तिकरण को कैसे बढ़ावा मिलेगा
- समय के साथ-साथ देश भी आगे बढ़ रहा है। सभी महिलाएं खुद को शिक्षित कर रही हैं और स्वावलंबी की ओर बढ़ रही हैं। इस स्थिति में महिला काफी तेजी से सशक्त हो रही हैं।
- अब पुरुषों को भी यह समझना होगा कि महिलाओं को शिक्षित करके वह अपने परिवार और समाज को आगे बढ़ा सकते हैं। आज भी कई सारे क्षेत्रों में लोग ऐसे हैं जो अपने घर की औरतों की शिक्षा में योगदान नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में आगे बढ़ पाना मुश्किल है।
- मगर आज सरकार के द्वारा एवं लोगों के द्वारा भी महिलाओं की सहायता की जा रही है। इससे देश में महिला उद्यमी की संख्या बढ़ती जा रही है, जिन क्षेत्रों में औरतों की संख्या नहीं थी उसमें भी पुरुषों के साथ महिलाएं भी बराबरी की हिस्सेदारी निभा रही है, यह बेहद सराहनीय है।
इस ब्लॉग को खत्म करने साथ एक बिंदु का जिक्र करना बहुत जरूरी है। किसी ने कहा है कि “कोई भी देश यश के शिखर पर तब तक नहीं पहुंच सकता जब तक उसकी महिलाएं कंधे से कन्धा मिला कर ना चलें।”
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Table of Content
राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण नीति (2001) National Policy for Women Empowerment (2001)
भारत में महिलाओं की संख्या
नहीं बदल रहा है पितृसत्तात्मक समाज
सरकार के द्वारा लायी गयी योजनाएं
जानें महिलाओं के अधिकार
महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए कई संस्थाओं की है अहम भूमिका
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की कैसी है भूमिका
भविष्य में महिला सशक्तिकरण को कैसे बढ़ावा मिलेगा
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